
महिलाएं भी आसानी से चला सकती हैं यह ई-ट्रैक्टर
इस ई-ट्रैक्टर को इस तरह से बनाया गया कि महिला किसानों को इसे चलाने में कोई समस्या न आए.गियर व स्टेरिंग में ऐसे प्रावधान हैं, जिससे इसे चलाने में महिलाओं को कोई दिक्कत न हो. ई- ट्रैक्टर और ई-टिलर रोड शो में बतौर मुख्यातिथि पहुंचे कृषि विवि के कुलपति डा. नवीन कुमार, विशिष्ट अतिथि डा. कुलदीप सिंह धीमान, उपनिदेशक, कृषि, सीएसआईआर/ सीएमईआरआई के निदेशक डा. नरेश चंद्र मुर्मू, सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव सहित 150 से अधिक किसान उपस्थित थे. उन्होंने न केवल ट्रैक्टर और टिलर का प्रदर्शन देखा, बल्कि इन मशीनों को चलाने का प्रत्यक्ष अनुभव भी प्राप्त किया.
किसानों को मिलेगा यह लाभ
जानकारी के अनुसार एक बार चार्ज के बाद यह ई-ट्रैक्टर साढ़े चार घंटे खेत की जुताई कर सकता है.वहीं, सडक़ पर पर डेढ़ टन भार को छह घंटे तक खींचने की क्षमता रखता है. इस क्षमता के डीजल ट्रैक्टर को चलाने में अढ़ाई लीटर प्रति घंटा डीजल लगता है, जबकि इस ट्रैक्टर को चार घंटे चलाने में सिर्फ 140 रुपए का खर्चा आता है.इस तरह ई-ट्रैक्टर से चार साल में खर्चे में 67 फीसदी की कटौती की जा सकती है. वहीं, इलेक्ट्रिकल ड्राइव्स होने से रखरखाव का खर्चा भी बेहद कम रहने की बात की जा रही है.